नमाज़ में दाहिने (Right) पैर का अंगूठा सरकने का मसला ?

आमतौर से देहातों में इसको बहुत बुरा जानते हैं, यहाँ तक कि नमाज़ में दाहिने पैर का अंगूठा अगर थोड़ा बहुत सरक जाये तो नमाज़ न होने का फ़तवा लगा देते हैं।


कुछ लोग इस अंगूठे को नमाज़ की किलया, या खूंटा कहते भी सुने गए हैं। यह सब जाहिलाना बातें हैं, किसी भी पैर का अंगूठा सरक जाने से नमाज़ में कोई ख़राबी नहीं आती। हां बिला वजह नमाज़ में "क़स्दन" (जानबूझकर) कोई हरकत करना ख़्वाह जिस्म के किसी हिस्से से हो ग़लत व मकरूह है।


हज़रत अल्लामा मुफ़्ती जलालुद्दीन साहब क़िब्ला अमजदी फ़रमाते हैं, दाहिने पैर का अंगूठा अपनी जगह से हट गया तो कोई हरज नहीं, हां मुक़्तदी (इमाम के पीछे नमाज़ पढ़ने वाले) का अंगूठा दाहिने या बायें (Left-Right) आगे या पीछे इतना हटा कि जिससे सफ़ में कुशादगी पैदा हो या सीना सफ़ से बाहर निकले तो मकरुह है।


(फ़तावा फ़ैज़ुर्रसूल, जिल्द 1, सफ़ह 370)


खुलासा यह कि, अवाम में जो मशहूर है कि, नमाज़ में दाहिने पैर का अंगूठा अगर अपनी जगह से थोड़ा सा भी सरक जाए तो नमाज़ नहीं होती, यह उनकी जहालत और ग़लतफ़हमी है।_


 (ग़लतफ़हमियां और उनकी इस्लाह-हिन्दी, सफ़ह- 28)

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